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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

काव्यम्

किमस्ति सत्यं जनभाषणाद्बहिः
केन प्रकारेण बहिष्कृतं भवेत् ।
तस्माद्धि काव्यं जगतीह पूजितं
निर्मीयते तत्त्वमतः कवेर्गिरा ॥

kim asti satyaṃ janabhāṣaṇād bahiḥ
kena prakāreṇa bahiṣkṛtaṃ bhavet /
tasmād dhi kāvyaṃ jagatīha pūjitaṃ
nirmīyate tattvam ataḥ kaver girā //

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Is there any Truth outside people’s language?
In what (other) way could it be manifested? 
That’s why poetry is so highly praised in this 
world, because the true nature of things is 
expressed in the words of a poet!

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बालकस्य दिनचर्या

बालकस्य दिनचर्या एकस्मिन् रमणीये ग्रामे सोमः नाम एकः बुद्धिमान् बालकः वसति स्म। तस्य गृहं वृक्षैः परिवृतम् आसीत्। सः प्रतिदिनं ब्राह्ममुहूर्...